आन्दोलन की दी चेतावनी
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन
सभी 25 लोकसभा सदस्यों को आन्दोलन में सम्मिलित होने का किया गया आग्रह
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने चने की दाने.दाने की खरीद करने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित राजस्थान के 25 लोकसभा सदस्यों को पत्र भेजा है। इस पत्र में खरीद चालू नहीं रहने पर गांव बंद एवं दिल्ली कूच जैसे कदमों के जरिए आन्दोलन की चेतावनी दी है। रामपाल जाट ने अपने पत्र में व्यक्त किया है कि अभी तक राजस्थान में चना की खरीद 5.83 लाख टन हो चुकी है इसके उपरांत 21.02 लाख टन शेष बच जाएगा, इसमें से 0.32 लाख टन चने की खरीद की ही सम्भावना है। शेष चना किसानों को बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बेचना पड़ेगा। जिससे उन्हें 1,000 से लेकर 1,200 रुपए प्रति क्विंटल तक का घाटा उठाना पड़ेगा । 1000 रुपए प्रति क्विंटल के अनुसार भी अनुमानित घाटा 2102 करोड़ रुपए होगा। कोविड.19 के अंतराल में यह घाटा किसानों पर कहर ढाएगा। जाट ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार भारत सरकार तो सम्पूर्ण खरीद कर सकती है लेकिन उनके द्वारा बनाई गई एजेंसी नेफेड कुल उत्पादन में से अधिकतम 25फीसदी ही खरीद कर सकती है उसके अनुसार ही राजस्थान में खरीद का लक्ष्य 6.15 लाख टन तय किया गया था जो कुल उत्पादन का 22.45 फीसदी है।
राजस्थान में नेफेड के आधार पर राजफेड चने की खरीद करती है। इस वर्ष 783 केन्द्रों पर चने की खरीद की गई। लक्ष्य के अनुसार चने की खरीद 3 दिनों के बाद कभी भी बंद हो सकती है। इसके लिए भारत सरकार को प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में से अधिकतम 25 फीसदी खरीद के प्रतिबन्ध को समाप्त कर सम्पूर्ण खरीद के प्रावधान करने की आवश्यकता है, अन्यथा भारत सरकार स्वयं खरीद कर किसानों को होने वाले घाटे से बचाने का प्रयास करें। पत्र में यह भी लिखा गया है कि इस योजना में 4० फीसदी तक की सीमा तक 15 फीसदी उपज राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से खरीदी जा सकती है , किन्तु आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपने संसाधनों के आधार पर कोई भी राज्य सरकारे किसानों से खरीद नहीं कर पाती। इस कारण यह भार राज्यों से हटा कर केंद्र को अपने ऊपर लेना चाहिए क्योंकि मूल्य समर्थन योजना केंद्र सरकार की ओर से संचालित है ।राजस्थान में इसकी पालना तत्काल किसान कल्याण कोष की राशि द्वारा की जा सकती है, जिसकी भरपाई केंद्र द्वारा राज्य को की जा सकती है। यदि सरकार खरीद नहीं करती है तो पंजीयन कराये हुए 31,963 किसान वंचित रह जाएंगे तथा जिन किसानों का पंजीयन नहीं हुआ तथा नियमों में बदलाव के उपरांत पंजीयन होने की सम्भावना बनेगी, वे भी सरकार द्वारा घोषित चने के न्यूनतम मूल्यों से वंचित हो जाएंगे।