विकास दुबे-समर्पण की पटकथा क्यों? विकास दुबे के दो वीडियो आये है जिसमें से एक मंदिर के अंदर ले जाने और एक बाहर लाने का बताया जा रहा है। अंदर ले जाने के दौरान पुलिस के 2 सिपाही साथ चल रहे है, बाकी सिक्युरिटी है। और बाहर लाने पर कई पुलिस वालो ने उसे पकड़ रखा है। क्या पुलिस खुद अंदर लेकर गयी और बाद में अरेस्ट का दिखावा किया? भास्कर के पत्रकार सुनील सिंह बघेल बताते है कि 8 जुलाई, बुधवार रात करीब 8:30 बजे उज्जैन कलेक्टर और एसपी बड़ी हड़बड़ी में महाकाल मंदिर पहुंचे थे (दर्शन के लिए नहीं)। देर तक एक कक्ष में मंत्रणा करते रहे। 9 जुलाई, गुरुवार सुबह विकास दुबे गिरफ्तार हो गया। मतलब इंटेलिजेंस की सूचना थी या यह सब कहीं गिरफ्तारी की पटकथा का हिस्सा तो नहीं? ध्यान दीजिये, विकास के राइट हेंड का एनकाउंटर हो गया है। उसका घर गिरा दिया गया है जो अपने आप में सबूत था। वहां लगे CCTV की DVR एनकाउंटर के बाद गायब हो गयी (पुलिस ने कहा कि उसकी बीवी लेके भाग गयी)। इस DVR को पुलिस ने तुरंत जब्त क्यो नहीं किया? आगे जाँच भी होंगी तो सबूत तो अभी से गायब है? सुनने में आ रहा है कि विकास दुबे के पास भाजपा नेताओं से लेकर अधिकारीयों तक के काफ़ी सुबूत थे जिसके दम पर एनकाउंटर की बजाय अरेस्ट और पैरवी मिलेगी भाजपा सरकार से। उसके बदले विकास भाजपा को छोड़ बसपा, सपा और कांग्रेस के नेताओं के नाम लेगा। कुछ साल बाद केस ठंडा पढ़ने पर छूट जायेगा। वैसे भी जेल में रहते वो जिला पंचायत का चुनाव भी जीत चुका है।