कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे 10 जुलाई को एनकाउंटर में मारा गया। वह उज्जैन के महाकाल मंदिर से पकड़ा गया था। विकास को महाकाल मंदिर तक बंटी चौहान नाम का ऑटो ड्राइवर लेकर गया था। वह उसे तीन घंटे तक ऑटो में घुमाता रहा, लेकिन उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसे जो सवारी मिली है, वह विकास दुबे है। विकास के पकड़े जाने पर पुलिस ने उसे भी हिरासत में लिया था। वह 24 घंटे तक पुलिस हिरासत में रहा। बंटी के मुताबिक, 10 जुलाई की सुबह करीब चार बजे का वक्त रहा होगा। वह उज्जैन के देवास गेट बस स्टैंड पर सवारी के इंतजार में था, तभी बस स्टैंड पर एक बस आकर ठहरी। यह बस झालावाड़ से इंदौर जा रही थी। बस में से चार पैसेंजर उतरे और इनमें से एक उसके पास आया। उसने महाकाल मंदिर चलने को कहा। 50 रुपए भाड़ा तय होने पर वह उसे मंदिर ले जाने के लिए राजी हो गया। बंटी ने आगे बताया, ऑटो में बैठने के बाद विकास ने कहा था कि उज्जैन में उसे दो-तीन रुकना है। इस पर वह उसे अनमोल पैलेस होटल लेकर गया था। विकास ने उससे पूछा था कि होटल में रुकने के लिए कोई कागज चाहिए होता है क्या? मैंने कहा कि आईडी होनी चाहिए। उसने कहा कि आईडी तो नहीं है। फोटोकॉपी है। इस पर मैंने कहा कि चल जाएगी। हालांकि, होटल में उसे कमरा नहीं मिला। वह उसे दूसरे होटल लेकर पहुंचा, लेकिन वहां भी उसे मना कर दिया गया। दोनों होटलों में कमरा न मिलने पर विकास ने शिप्रा नदी चलने को कहा। वह उसे राम घाट ले गया, जहां उसने स्नान किया। इसके बाद उसने उसे महाकाल मंदिर छोड़ दिया था। बंटी ने बताया कि पुलिस ने पूछताछ की, तब भी उसने यही जानकारी दी थी। पुलिस जांच में उसकी बात सही निकली तो उसे छोड़ दिया गया।