श्राद्ध कर्म करते समय पके हुए चावल, दूध और काले तिल मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं। इन पिंडों को मृत व्यक्ति के शरीर का प्रतीक माना जाता है। पिंडों पर अंगूठे की मदद से धीरे-धीरे जल चढ़ाया जाता है। इस संबंध में मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से वे तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हथेली में अंगूठा के पास वाले भाग के कारक पितर देवता होते हैं। इसे पितृ तीर्थ कहा जाता है। हथेली में जल लेकर अंगूठे से चढ़ाया गया जल पितृ तीर्थ से होता हुआ पिंडों तक जाता है। इस वजह से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को अधार्मिक कर्मों से बचना चाहिए। जो लोग इन दिनों में गलत काम करते हैं, उनकी पूजा-पाठ, श्राद्ध कर्म निष्फल हो जाते हैं। पितृ पक्ष में किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद गरीब व्यक्ति दान में अनाज और धन दें। घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखनी चाहिए। क्लेश न करें।
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