A special puja performed in the name of his ancestors in Pitrupaksha is called Shradh. Recalling the departed people, it is the aim of this patriarch to pay their faith and respect to them. During these fifteen days, the family environment is very simple and sattvic. From the Brahmin food to the special worship, the Shraddha tradition of Brahmin food is incomplete until the Panchabali is performed. Let us know which five sacrifices must be performed by Shraddhakara.
पितृपक्ष में श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के नाम से किया गया विशेष पूजन श्राद्ध कहलाता है। दिवंगत हो चुके लोगों का स्मरण करते हुए उनके प्रति अपनी आस्था और आदर देना ही इस पितृपक्ष का ध्येय है। इन पंद्रह दिनों में परिवार का वातावरण अत्यंत सादा और सात्विक होता है। ब्राह्मण भोजन से लेकर विशेष पूजन से लेकर ब्राह्मण भोजन की परंपरा वाला श्राद्ध तब तक अधूरा है जब तक कि पंचबलि न की जाए। आइए जानते हैं कि श्राद्धकर्ता को कौन सी पांच बलि अवश्य करनी चाहिए.
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