देश की अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो रही है .हाल ही में सांख्यिकी मंत्रालय के जारी आंकड़ों के अनुसार 2020-21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है.
हालांकि पहले से ये अंदाज लगाया गया था कि कोरोना रुपी महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश की जीडीपी की दर पहली तिमाही में 18 फ़ीसद तक गिर सकती है,और ये गिरावट अनुमान से भी अधिक हुई.
लेकिन जो गिरावट हालिया वर्षों में पत्रकारिता के मूल्यों में देखी गई है, वह जीडीपी की गिरावट से भी कहीं ज्यादा है. खासतौर से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तो पत्रकारिता का स्तर चिंताजनक हो गया है टीआरपी की अंधी दौड़ में भाग रहे टीवी चैनल्स मुख्य और जन सरोकार से जुड़े मुद्दे भूल गए हैं और मसालेदार खबरें परोसने में लगे हुए हैं .कुछ महीने पहले फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत की संदिग्ध मौत का मामला इन दिनों टीवी चैनल्स पर छाया हुआ है. हाल यह है कि दिन का अधिकांश वक्त बहुत से चैनलों पर इसी मामले से जुड़ी खबरें दिखाने में ही बीत जाता है .निश्चित रूप से कुछ लोगों द्वारा इस तरह की पत्रकारिता से लोकतंत्र का ये चौथा स्तंभ कमजोर हुआ है.देखिये सुधाकर का ये कार्टून