कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को बड़े स्तर पर संगठन में बदलाव किया। एक ओर जहां कांग्रेस वर्किंग कमिटी से लेकर राज्यों के प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव तक बदले गए, वहीं कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा पिछले दिनों लिखी गई चिट्ठी का भी असर देखने को मिला. नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले इनमें से कुछ नेताओं का कद कम किया गया, वहीं दूसरी ओर कई चेहरे ऐसे थे, जिनमें असंतोष दिखाने के बाद भी भरोसा जताया गया। गुलाम नबी आजाद को महासचिव पद से हटा दिया गया तो असंतुष्टों में शामिल अरविंदर सिंह लवली को सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी की जिम्मेदारी दी गई। यदि कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालें तो यही स्पष्ट होता है कि पार्टी की पूरी कार्यप्रणाली गांधी परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती है. बीच में जब भी गांधी परिवार के अलावा अन्य किसी को नेतृत्व दिया गया तो पार्टी में भारी असंतोष देखने को मिला . वहीं दूसरी ओर गांधी परिवार भी नहीं चाहता कि उनके अतिरिक्त कोई और बड़ा नेता पार्टी में नेतृत्व कर्ता के रूप में उभरे .इस मुद्दे पर देखिये कार्टूनिस्ट सुधाकर का अंदाजेबयां.