एक कहावत है, जब उम्मीदें बहुत बड़ी हो और प्रयास भी उसी स्तर का हो तो, गरीबी और पिछड़ापन कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि लगन के आगे सफलता इंतजार करती है यह कहावत बहुत पुरानी है। गाजीपुर के कासिमाबाद तहसील के अँँवरापुर जिसे अँँवराकोल ग्राम सभा के नाम से भी जाना जाता है, और ये कहावत यहीं के बेहद सामान्य पान वाले के बेटे आशुतोष प्रसाद पर सटीक बैठती है। बेहद गरीब परिवार के आशुतोष गांव से ही पढ़े लिखे और
पॉलिटेक्निक करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से बीए ऑनर्स करने के बाद पीसीएस की परीक्षा दिए और पहली ही बार में यूपी पीसीएस की परीक्षा पास करके गांव का नाम रोशन कर दिया। इनके पिता गांव में पान लगाते थे, लेकिन उसके बाद भी जब परिवार और घर का खर्चा पूरा नहीं हुआ तो वह आज घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुंबई में सिक्योरिटी गार्ड की प्राइवेट नौकरी करते हैं। घर पर छोटे दादा जी, माताजी और पांच बहने हैं, इनमें से दो बहनों की शादी हो चुकी और सारी जिम्मेदारी आशुतोष और उनके पिता के कंधों पर ही है।
गाज़ीपुर के कासिमाबाद में अँँवरापुर गांव में ये झोपड़ी सा मकान और भैंस को पानी पिला रहा ये साधारण सा शख्स आज अपने गांव की मिसाल बन चुका है। क्योंकि बहुत ही सीमित संसाधन में गांव के इस आम से लड़के ने पहली ही बार में यूपी-पीसीएस परीक्षा पास कर ली है और इसका सारा श्रेय इसने अपने गरीब पिता और माँ को दिया है। आशुतोष ने बातचीत के दौरान बताया कि पिता ने गरीबी और अभाव के बावजूद कभी पढ़ाई में कमी नहीं आने दी और उसी का नतीजा है कि आज वो पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सके लेकिन उनका अगला लक्ष्य आईएएस बनने का है। आशुतोष ने बताया कि पढ़ाई के दौरान बहुत लोगो ने टोका था कि पढ़ाई में पैसा बर्बाद मत करो लेकिन मैं रुका नहीं और अपने लक्ष्य की तरफ प्रयास करता रहा, आशुतोष ने बताया कि वे गांव के बच्चो को भी पढ़ते हैं और शिक्षा के प्रति जागरूक भी करते हैं।
बेहद गरीब और सामान्य परिवार के आशुतोष प्रसाद ने पीसीएस का एग्जाम उत्तीर्ण किया, गांव के और घर के बुजुर्ग भी खुशी से फूले नहीं समाए आशुतोष के बाबा कुंदन ने बताया कि उन्हें पहले से ही अपने बच्चे पर विश्वास था और वह इसी तरह से जीवन में तरक्की करें वही गांव के ही बुजुर्ग दिनेश्वर पांडे ने बताया कि हम लोगो का गांव काफी पिछड़ा है, सुविधाएं नाम मात्र की हैं, लेकिन अभाव में भी गांव का नाम लड़के ने रोशन कर दिया, उन्होंने कहा कि शुरू से ही यह बहुत ही मेधावी बच्चा था और इसके पीसीएस में सेलेक्ट होने के बाद गांव का नाम रोशन हुआ है हम सभी लोग उसके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।