कहां आमेर के किले की तोप तो कहा मेरठ का पानदान,दोनों का लोहा एक समान। यह कहावत मेरठ में रखे एक पानदान पर बिल्कुल सटीक बैठती है। मेरठ के तिवारी क्वाटर के रहने वाले जीशान खान के पास 350 साल पुराना पानदान है। इस पानदान की खासियत यह है कि आजतक इनमें जंग नहीं लगा और न इसमें कलई करवाई गई है। इस पानदान में पान के शौकीनों के लिए अलग—अलग डिब्बे रखे हुए है। जैसे कत्था और चूने के लिए अलग—अलग छोटे—छोटे लोटे हैं। इसी तरह से सुपाडी, तम्बाकू और अन्य चीजों के रखने के लिए अलग—अलग डिब्बे हैंं।
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महिलाएं अपने साथ रखती थी पानदान :—
जीशान खान बताते हैं कि इस पानदान को उनके पूर्वजों की महिलाएं अपने साथ रखती थी। इस पानदान में बने तहखाने में वे अपने जेवर भी रखती थी। महिलाएं जहां भी जाती थी इस पानदान को अपने साथ लेकर जाती थी। उनके साथ जेवर भी साथ—साथ रहते थे। पानदान में जेवर रखने के खुफिया तहखाने के बारे में किसी को पता नहीं था। इसका राज सिर्फ घर के लोगों केा या फिर पानदान का प्रयोग करने वाले को होता था ।जीशान खान बताते हैं कि उनके दादा के जमाने से भी काफी पुराना पानदान है। जीशान खान की उम्र करीब 70 वर्ष है। बताते हैं कि उनके दादा पानदान को बचपन से ही देखते आ रहे थे।
आमेर के किले में रखी तोप और पानदान का एक ही लोहा:—
जीशान का कहना है कि जिस लोहे की आमेर की तोप है उसी लोहे का यह पानदान भी बना है। जैसे आज तक आमेर के किले में रखी तोप में आजतक जंग नहीं लगा उसी प्रकार इस पानदान में आजतक जंग नहीं लगा। यह पानदान उसी तरह से अपनी दमक बनाए हुए है। जीशान खान के पास इस तरह के दो पानदान हैं। एक बड़ा और दूसरा इससे छोटा।