As the winter season climbs slowly, the fog blossoms and when the thunder begins to rise amidst the lukewarm sunlight, the sudden auspicious and auspicious tasks cease, the marriage wedding moment is lost. This period i.e. late December and first half of January is called Kharmas in Indian beliefs. Let's know everything about the Kharmas that are going to be.To overcome the lack of material goods and food money, worshiping Aditya drowning in Kharmah is beneficial. Those desirous of opulence and honor should worship Bhaskar at the Brahma Muhurta in Kharmas. People desirous of salvation should invariably practice the service of Guru and maximum meditation and listening to the heavenly sound.
जाड़े के परवान चढ़ते मौसम से जब धीरे-धीरे कोहरे की कोपलें फूटती हैं और गुनगुनी धूप के बीच जब सिहरन बढ़ने लगती है तब अचानक शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं, शादी ब्याह का मुहूर्त खो जाता है। यह कालखंड यानी दिसंबर का उत्तरार्ध और जनवरी का पूर्वार्ध भारतीय मान्यताओं में खरमास कहलाता है। आइए जानते हैं लगने जा रहे खरमास के बारे में सबकुछ .भौतिक वस्तुओं व अन्न-धन की कमी से उबरने के लिए खरमाह में डूबते आदित्य की आराधना से लाभ होता है। ऐश्वर्य और सम्मान के अभिलाषियों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में भास्कर की आराधना करनी चाहिए। मोक्ष मुक्ति के इच्छुक लोगों को इस समय में गुरु की सेवा और अधिक से अधिक ध्यान और आकाशीय ध्वनि सुनने का अभ्यास अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
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