The Chauri Chaura incident took place on 4 February 1922 at Chauri Chaura in the Gorakhpur district of the United Province (modern Uttar Pradesh) in British India, when a large group of protesters participating in the Non-cooperation movement, clashed with police who opened fire.
अमृतसर में जालियांवाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में सितम्बर 1920 में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी ने सरकार के साथ असहयोग का प्रस्ताव रखा. गांधीजी का प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया. पूरे देश में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत हो गई. इस आंदोलन को लेकर पूरे देश में जबरर्दस्त उत्साह था। गांधीजी की शर्त थी कि आंदोलन में हिंसा का सहारा नहीं लिया जाएगा। लेकिन 4 फरवरी 1922 को जब गोरखपुर के चौरी चौरा में जब पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी तो ससे गुस्साए लोगों ने थाने में आग लगा दी। जिसमें थानेदार गुप्तेश्वर सिंह और 21 अन्य सिपाहियों की जिंदा जल जाने से मौत हो गई। साथ ही 3 आम नागरिकों की भी मौत हो गई थी.
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