शाजापुर। जिस तरह एक भक्त भगवान के बिना अधूरा है। उसी प्रकार भगवान भी अपने भक्त के बिना अधूरे हैं। इसीलिए जब भी हम सच्ची भाव और भावना से प्रभु को पुकारते हैं वे किसी न किस रूप में अपने भक्त की सहायता हेतु पहुंच जाते हैं। यह बात कथावाचक पं. अनिल शर्मा ने हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन गुरूवार को कथावाचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम ने अपने भक्तों की सहायता के लिए जन्म लिया था तो भगवान श्री कृष्ण ने कारागार में जन्म लेकर अपने भक्तों के संकट दूर किए थे। यदि ईष्वर को पाना है तो मन में वो भाव ओैर भक्ति होना जरूरी है जिसे देखकर प्रभु खुद अपने भक्त के दुख दूर करने के लिए तुरंत पहुंच जाते हैं। श्रीमद भागवत गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने इस बात का उल्लेख किया है कि भगवान को पाने का एकमात्र रास्ता है भक्ति और ईष्वर के प्रति समर्पण।