अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं का वट सावित्री व्रत कल 10 जून को किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस दिन वृष राशि में चार ग्रह बैठे हैं। सूर्य, चंद्र, बुध और राहु ग्रह एक साथ मिलकर चतुर्गही योग बना रहे हैं। इसके साथ ही अमावस्या और शनि जयंती होने के कारण शनि की स्थिति भी देखना जरूरी है। शनि अमावस्या के दिन शनि देव अपनी ही राशि में वक्री चाल चल रहे हैं। ऐसे में वट सावित्री व्रत पर इस स्थिति को जानना भी जरूरी है। दरअसल ज्योतिषियों के अनुसार चतुर्ग्रही योग और शनि की वक्री चाल को शुभ माना गया है। इसलिए इस दिन वट सावित्री व्रत सौभाग्य और समृद्धि देगा। कई पंचागों 10 जून गुरुवार की सुबह से दोपहर बाद तक वट सावित्री व्रत का पूजन किया जाता है। आपको बता दें कि हालांकि अमावस्या तिथि एक दिन पहले 9 जून को दोपहर 1.59 से लग जाएगी और अगले दिन 10 जून को शाम 4.30 बजे तक रहेगी। इसलिए अमावस्या का दान और श्राद्ध कर्म इससे पहले कर लेना उत्तम रहेगा। अगर व्रत करने वाली महिलाएं यात्रा में हो या किसी भी कारण से घर से बाहर नहीं जा सकती हैं तो वे भगवान शंकर से युक्त वटवृक्ष की तस्वीर की पूजा कर अपना व्रत पूरा कर सकती हैं। अगले दिन 11 जून शुक्रवार को पारण करेंगी।
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