सावन के महीने से व्रत त्योहार की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में कई व्रत ऐसे होते हैं जब महिलाएं पूरे दिन बिना कुछ खाए-पीए निर्जल व्रत रहती हैं. हरतालिका तीज, करवा चौथ और एकादशी के जैसे कई व्रत हैं, जिनमें निर्जला उपवास किया जाता है. इन व्रत को करने वाली महिलाएं दिन भर कुछ भी नहीं खाती हैं और पानी भी नहीं पीती. वहीं घर के सारे काम भी उन्हें करने पड़ते हैं. व्रत और पूजा की तैयारी करना, ऐसे में शाम होते होते कुछ महिलाओं को सिर दर्द, उल्टी या चक्कर आने लगते हैं. निर्जल व्रत में कमजोरी, चक्कर आना, ब्लड प्रेशर लो होना, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो जाती है. हालांकि उपवास से एक दिन पहले और बाद में अगर खाने पीने का ख्याल रखा जाए तो परेशानी को कम किया जा सकता है.
The fasting festival starts from the month of Sawan. In such a situation, there are many such fasts when women keep a waterless fast for the whole day without eating or drinking anything. There are many fasts like Hartalika Teej, Karva Chauth and Ekadashi, in which Nirjala fasting is done. Women observing these fasts do not eat anything throughout the day and do not even drink water. At the same time, they also have to do all the household chores. Preparing for fasting and worship, in such a way that in the evening, some women start having headache, vomiting or dizziness. In anhydrous fasting, problems like weakness, dizziness, low blood pressure, dehydration occur. However, if we take care of food and drink a day before and after fasting, then the problem can be reduced.
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