प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में पकौड़े बेचने को बेरोजगारी का बेहतर विकल्प बताया है. उनके बयान के बाद से एक बार फिर से पकौड़ा और रोजगार को लेकर सोशल मीडिया में जुमलों और चुटकुलों का दौर शुरू हो गया है. क्या अब सरकारें और सत्ता में बैठे लोग ही रोजगार के विकल्प के रूप में पकौड़े बेचने की सलाह देंगे? क्या रोजगार की अनिश्चचितता कोई मायने नहीं रखती?