सीकर/शिश्यूं. दुख के दरिया में डूबी एक दुखिया की ये दास्तां बेहद दर्दभरी है। जिसके कलेजे में दबी कसक की कल्पना ही कलेजा मुंह तक ले आती है। लेकिन, उसी दर्द को वह बेबसी के बोझ तले 10 साल से सीने में दबाए है। जो हल्का सा कुरेदते ही आंसू के रूप में आंखों में छलछला आता है। दरसअल,