राहुल गांधी से ईडी ने पूछताछ की तो पूरे देश के कांग्रेसियों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ था, जिसे कांग्रेस ने सत्याग्रह का नाम दिया था. लेकिन ये प्रदर्शन राहुल गांधी को बचाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं हो पाया. जबकि कांग्रेस ने चाहा होता तो इस मुद्दे पर विपक्षी दलों जैसे कि ममता बनर्जी की टीएमसी, शरद पवार की एनसीपी, अखिलेश यादव की सपा, उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भी साथ ले लिया होता. या फिर लेने की कोशिश की होती, क्योंकि इन सभी नेताओं ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया है और इनके भी नेताओं के खिलाफ ऐसे ही एजेंसियों ने कार्रवाई की है. लेकिन गांधी परिवार को बचाने में जुटी कांग्रेस ने विपक्ष के लोगों का साथ ही नहीं लिया और एक बड़ा मौका चूक गई, जो 2024 के चुनाव के लिए संजीवनी हो सकता था. देखिए कार्यकारी संपादक विजय विद्रोही का विश्लेषण