(Badluram) बदलूराम का बदन ज़मीन के नीचे है, लेकिन हमको उसका राशन मिलता है (Badluram ka badan zameen ke neeche hai lekin humko uska ration milta hai)... असम रेजिमेंट के ये थिरकते हुए जवान इसी गाने की धुन को गाते हुए थरक रहे हैं। ये जवान हैं, असम राइफल्स (Assam Rifles) (Assam Regiment) के, जो अपने रेजिमेंट का मार्चिंग सांग का रहे हैं। लेकिन जो गा रहे हैं, उससे जुड़ी कहानी बड़ी दिलचस्प है। क्योंकि जिस बदलूराम की अनजान शहादत के बाद, उनके राशन की दावत उड़ाने का ये जश्न अपने गीत में गुनगुना रहे हैं, वो कभी ब्रिटिश इंडियन आर्मी में राइफलमैन हुआ करते थे। उनकी गाथा, आज असम रेडिमेंट का मार्चिंग गीत बन गया है। ये गाना द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापानी सेना के साथ संघर्ष करते शहीद हुए राइफलमैन बदलूराम को समर्पित है। बदलूराम की मृत्यु के बाद उनका क्वार्टर मास्टर उनका नाम हटाना भूल गया और उसकी जानकारी भी सेना को नहीं दे सका। जिसका परिणाम ये हुआ, कि उनके नाम से राशन लगातार आता रहा।
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