सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2018)

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वीडियो जानकारी: हार्दिक उल्लास शिविर, 15.09.2015, लैंसडाउन, उत्तराखंड, भारत

प्रसंग:
~ अध्यात्म में तप का क्या महत्त्व है?
~ सांच का क्या अर्थ है?
~ तपस्या का क्या अर्थ है?
~ सत्य को तप के सामान क्यों बताया गया है?
~ पाप क्या है?
~ गुरु कबीर के वचनों को कैसे समझें?
~ पाप कितने तरह के होते है?
~ पाप के फल से मुक्ति कैसे पाए?
~ पुण्य क्या है?
~ पुण्य कैसे पाए?
~ पाप और पुण्य में क्या भेद है?


दोहा:
सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हृदय सांच है, ताके हृदय हरी आप। (गुरु कबीर)


संगीत: मिलिंद दाते
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