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वीडियो जानकारी: अद्वैत बोध शिविर, 25.04.2020, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
दानवश्रेष्ठ! आकाश में विचरने वाले बलवान पक्षियों के समक्ष भी यथा समय मृत्यु आ पहुँचती है।
आकाश में जो छोटे-बड़े ज्योतिर्मय नक्षत्र विचर रहे हैं, उन्हें भी मैं यथासमय नीचे गिरते देखता हूँ।
इस प्रकार सारे प्राणियों को मैं मृत्यु के पाश में बद्ध देखता हूँ; इसलिए तत्व को जानकर कृतकृत्य हो सबके प्रति समान भाव रखता हुआ सुख से सोता हूँ।
~आजगर गीता (श्लोक-16, 17, 18)
~ जीवन को कैसे जाने?
~ मृत्यु क्या है?
~ क्या मृत्यु से बचा जा सकता है?
~ मृत्यु से हम घबरा क्यों जाते हैं?
~ मौत हर पल कैसे याद रखें?
संगीत: मिलिंद दाते
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