जो जितना होशियार है, वो उतना मूरख होगा || आचार्य प्रशांत, शून्यता सप्तति (बौद्ध दर्शन) पर (2024)

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वीडियो जानकारी: 09.07.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ संसार किसने बनाया?
~ मनुष्य को जीवन क्यों मिला है?
~ हम इस धरती के लायक भी हैं?
~ पूरे संसार का उद्देश्य क्या है?
~ दुनिया में भोगवाद क्यों बढ़ रहा है?
~ पृथ्वी में हाहाकार क्यों मचा हुआ है?

शून्यता सप्तति छंद 18
पूर्व पक्षी का कहना है कि: यदि वस्तु शून्य है तब उसकी उत्पत्ति और विनाश संभव नहीं है। जो स्वभाव से ही शून्य है वह कैसे उत्पन्न या विनष्ट हो सकता है ?

Opponent: If things were empty, origination and cessation would not occur. That which is empty of its own being: How does it arise, and how does it cease?
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शून्यता सप्तति छंद 19
माध्यमिक का कथन है कि: भाव और अभाव एक साथ नहीं रह सकते। अभाव के न होने पर भाव संभव नहीं है। भाव और अभाव सदा विद्यमान हैं। अतः अभाव पर निर्भरता के बिना भाव संभव नहीं है।

Reply: Being and non-being are not simultaneous. Without non-being, there is no being. Being and non-being would always be. There is no being independent of non-being.

शून्यता सप्तति, छंद: 18 & 19

संगीत: मिलिंद दाते
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