प्रतिदिन के लिए एक बीज मंत्र है हर रोज एक बीज मंत्र से मां की उपासना कीजिए और माता का आशीर्वाद प्राप्त कीजिए
1. #शैल पुत्री- माँ दुर्गा का प्रथम रूप है शैल पुत्री।। पिछले जन्म में वह राजा दक्ष की पुत्री थी। इस जन्म में उसका नाम सती-भवानी था और भगवान शिव की पत्नी । पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैल पुत्री कहा जाता है। नवरात्रि की प्रथम तिथि को शैल पुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
शैलपुत्री बीज मंत्र: ह्रीं शिवायै नम:
2.#ब्रह्मचारिणी- माँ दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाली है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
3. #चंद्रघंटा- तीसरी शक्ति का नाम है चंद्रघंटा जिनके सर पर आधा चन्द्र (चाँद ) और बजती घंटी है। वह शेर पर बैठी संगर्ष के लिए तैयार रहती है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वीरता के गुणों में वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है व आकर्षण बढ़ता है।
चन्द्रघंटा बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नम:
4. #कुष्मांडा- माँ के चौथे रूप का नाम है कुष्मांडा। " कु" मतलब थोड़ा "शं " मतलब गरम "अंडा " मतलब अंडा। यहाँ अंडा का मतलब है ब्रह्मांडीय अंडा । वह ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती है चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों, निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।
कूष्मांडा बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:
5. #स्कंदमाता- देवी दुर्गा का पांचवा रूप है " स्कंद माता ", हिमालय की पुत्री , उन्होंने भगवान शिव के साथ शादी कर ली थी । उनका एक बेटा था जिसका नाम "स्कन्दा " था स्कन्दा देवताओं की सेना का प्रमुख था । स्कंदमाता आग की देवी है। स्कन्दा उनकी गोद में बैठा रहता है। नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है।
स्कंदमाता बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
6. #कात्यायनी-
माँ दुर्गा का छठा रूप है कात्यायनी। एक बार एक महान संत जिनका नाम कता था संत कथा की आराधना से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने कात्यानी के रूप में संत कथा के यहां जन्म लिया
छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है।
कात्यायनी बीज मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
7. कालरात्रि- माँ दुर्गा का सातवाँ रूप है कालरात्रि। वह काली रात की तरह है, उनके बाल बिखरे होते है, वह चमकीले भूषण पहनती है। उनकी तीन उज्जवल ऑंखें है ,हजारो आग की लपटे निकलती है जब वह सांस लेती है। नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ काली रात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।
कालरात्रि बीज मंत्र: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
8. #महागौरी- आठवीं दुर्गा " महा गौरी है।" वह एक शंख , चंद्रमा और जैस्मीन के रूप सी सफेद है, वह आठ साल की है,उनके गहने और वस्त्र सफ़ेद और साफ़ होते है। उनकी तीन आँखें है ,उनकी सवारी बैल है इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। महागौरी की पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर क्रांति बढ़ती है। सुख में वृद्धि होती है। शत्रु-शमन होता है।
महागौरी बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
9. #सिद्धिदात्री- माँ का नौवा रूप है " सिद्धिदात्री " ,आठ सिद्धिः है ,जो है अनिमा ,महिमा ,गरिमा ,लघिमा ,प्राप्ति ,प्राकाम्य ,लिषित्वा और वशित्व। माँ शक्ति यह सभी सिद्धिः देती है माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन किया जाता है।
सिद्धिदात्री बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
डिस्क्लेमर
यह वीडियो केवल धर्म विज्ञान के संबंध में लोगों की आम जानकारी और जागरूकता बढाने के लिये है। किसी भी उपाय को करने से पहले किसी ज्ञानी ज्योतिषाचार्य का परामर्श अति आवश्यक है। यहाँ दी गई राय उसका स्थान नहीं ले सकती है स्वयं किसी भी प्रकार की सलाह पर उपाय शुरू कर देना आवश्यक नहीं फलीभूत हो । ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी चैनल की नहीं होगी
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