वो दिल्ली शहर के करीब 2 करोड़ लोगों की सुरक्षा के रखवाले हैं लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए सड़कों पर प्रदर्शन के लिए मजबूर हो गए.उन्हें शिकायत है कि जो सीनियर्स उनसे ये उम्मीद करते हैं कि वो किसी जादूगर की तरह राजधानी की कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखेंगे वही सीनियर्स खुद उनके खिलाफ हुई ज्याददती को तमाशे की तरह चुपचाप देख रहे हैं. खाकी वर्दी का रौब काले कोट की दबंगई से थर्रा रहे हैं, परेशान दिख रहा है. बात हो रही है दिल्ली में पुलिवालों और वकीलों की उस झड़प की जिसने देश की सबसे स्मार्ट और रौबीली पुलिस को इस कदर बेचारा बना दिया है कि उसे सड़कों पर बैठकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी.