जो दशा कोरोना संक्रमण को रोकने पर देश की है, वही दशा कोरोना के डर से वापस घर जाने वालों को पहुंचाने में रेल की है। दोनों ही लक्ष्य से भटकते नजर आ रहे हैं। केन्द्र सरकार पिछले ढाई महीनों से देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा रही है। राज्यों की सरकारें भी अपनी कोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़र रही पर संक्रमितों की तादाद दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ती ही जा रही है । पेश है। पेश है राजस्थान पत्रिका के डिप्टी एडिटर गोविंद चतुर्वेदी की कलम से...दखल...खतरे की घंटी
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