हिन्दुओं के बहुत से ऐसे पर्व हैं जिनमें रात्रि शब्द जुड़ा हुआ है। जैसे शिवरात्रि और नवरात्रि। साल में चार नवरात्रि होती है। चार में दो गुप्त नवरात्रि और दो सामान्य होती है। सामान्य में पहली नवरात्रि चैत्र माह में आती है जबकि दूसरी अश्विन माह में आती है। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। आषाढ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं के लिए होती है जबकि सामान्य नवरात्रि शक्ति की साधना के लिए।नवरात्रि में नवरात्र शब्द से 'नव अहोरात्रों (विशेष रात्रियां) का बोध' होता है। 'रात्रि' शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि को दिन की अपेक्षा अधिक महत्व दिया है। यही कारण है कि दीपावली, होलिका, शिवरात्रि और नवरात्र आदि उत्सवों को रात में ही मनाने की परंपरा है। यदि, रात्रि का कोई विशेष रहस्य न होता तो ऐसे उत्सवों को रात्रि न कह कर दिन ही कहा जाता। जैसे- नवदिन या शिवदिन, परंतु हम ऐसा नहीं कहते हैं। शैव और शक्ति से जुड़े धर्म में रात्रि का महत्व है तो वैष्णव धर्म में दिन का। इसीलिए इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है।
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