दादी की रसोई चलाकर लोगों को बेहद सस्ता खाना खिलाने वाले अनूप खन्ना आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनके द्वारा शुरू की गई दादी की रसोई से प्रेरणा लेकर सैकड़ों जगह इस तरह की रसोई चल रही हैं। जब हमने इसको लेकर अनूप खन्ना से बात की तो उन्होंने बताया कि मुझे पहले से ही सोशल वर्क करने का शोक था। पहली बार जब मैंने पोस्टमार्टम हाउस में सड़ी-गली डेड बॉडी को देखा तो डीप फ्रीजर दान किया। इससे प्रेरित होकर किसी ने रिक्शा दी, किसी ने जेनरेटर दिया तो किसी ने ऐसी दिया। बिहार में बाढ़ आई तो हम खुद सामान लेकर वहां गए। वहीं, जब उत्तराखंड केदारनाथ में आपदा आई तो वहां सामान नहीं पहुंच पर रहा था। इस पर हम वहां कैश लेकर गए। इसी बीच में मां की तबीयत खराब हो गई तो मां ने कहा कि तुम लोगों के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हो तो गरीबों के लिए खाने का इंतजाम कर दो। इस पर बच्चों ने कहा पापा दादी की इच्छा शुरू कर देते हैं तो हमने दादी की रसोई शुरू कर दी। लेकिन, मुझे ये नहीं पता था कि हमने जो दादी की रसोई के रूप में छोटा सा कांसेप्ट शुरू किया था, वह देश-दुनिया में एक मिसाल बन जाएगा।
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