पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार जिस प्रकार प्रत्येक मास का कोई न कोई स्वामी होता है किन्तु अधिकमास का कोई स्वामी नहीं है। अत: इस मास में शुभ-कार्य करना वर्जित है। विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि कोई भी कार्य इस मास में नहीं होते हैं। पौराणिक ग्रन्थों की कथा के अनुसार एक बार अधिक मास भगवान विष्णु के पास गया और उसने उन्हें अपनी समस्या बतलाई। वह बहुत दु:खी था कि उसका कोई स्वामी नहीं है। विष्णु भगवान ने उसे दु:खी देखा तो उन्हेंं उस पर दया आ गई। उसी दिन से ही भगवान विष्णु ने उसे अपना नाम दे दिया और तभी से यह मास पुरुषोत्तम मास के नाम से प्रसिद्ध हो गया। वीडियो में जानें अधिक मास 2023: अधिक मास क्या होता है | अधिक मास क्यों आता है ?
According to mythological texts, the way each month has one or the other master, but Adhikamas has no master. Therefore, doing auspicious work is prohibited in this month. Marriage, Yajnopaveet, Griha Pravesh, Mundan etc. are not done in this month. According to the story of mythological texts, once Adhikamas went to Lord Vishnu and he told him his problem. He was very sad that he had no master. When Lord Vishnu saw him sad, he felt pity on him. From that very day Lord Vishnu gave him his name and since then this month became famous as Purushottam month.Watch Video and Know Adhik Maas 2023: Adhik Maas Kya Hota Hai | Adhik Maas Kyu Aata Hai ?
#AdhikMaas2023
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