इसलिए पूजनीय है आंवले का पेड़ आमलकी एकादशी को आंवला एकादशी या रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है. आंवला की पूजा करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं व मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कुछ कथाओं के अनुसार भगवान शिव और भगवान विष्णु के स्वरूप में आंवले के पेड़ का सबसे पहले माता लक्ष्मी ने किया था. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी धरती लोक पर भ्रमण करने आईं. धरती पर आने के बाद उन्हें मन हुआ कि वह भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करें. विष्णु जी की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग होता है और शिव जी की पूजा बेल के साथ की जाती है.
That's why Amla tree is revered Amalaki Ekadashi is known as Amla Ekadashi or Rangbhari Ekadashi. There is a tradition of worshiping the Amla tree on this day. There are many mythological stories and beliefs behind worshiping Amla. According to some stories, the Amla tree was first planted by Mother Lakshmi in the form of Lord Shiva and Lord Vishnu. According to the legend, once Goddess Lakshmi came to visit the earth. After coming to earth, he felt like worshiping Lord Shiva and Lord Vishnu. Tulsi leaves are used in the worship of Lord Vishnu and Lord Shiva is worshiped with vine.
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