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वीडियो जानकारी: 24.04.2021, शास्त्र कौमुदी - लाइव, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
प्रसंग:
नैहरवा हम का न भावे
साई कि नगरी परम अति सुन्दर,
जहाँ कोई जाए ना आवे
चाँद सुरज जहाँ, पवन न पानी,
कौ संदेस पहुँचावै
दरद यह साई को सुनावै
आगे चालौ पंथ नहीं सूझे,
पीछे दोष लगावै
केहि बिधि ससुरे जाऊँ मोरी सजनी,
बिरहा जोर जरावे
विषै रस नाच नचावे
बिन सतगुरु आपनों नहिं कोई,
जो यह राह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया की बुझावे
नैहरवा
~ गुरु कबीर
~ "नैहरवा हमका न भावे" कहने का क्या आशय है?
~ संत कबीर "नैहरवा" किसे बोल रहे?
~ संसार की हकीकत कैसे जाने?
~ हमारे मन की भूख क्या है? और वो कैसे मिटेगी?
संगीत: मिलिंद दाते
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