आर्थिक राजधानी इंदौर में पिपलियाहाना तालाब को बचाने के लिए एक बार फिर रहवासियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। बुधवार को कुछ रहवासियों को सुचना मिली कि तालाब का पानी निगम द्वारा खाली करवाया जा रहा है, जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय निवासी तालाब पहुंचे, जहां क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया के नेतृत्व में रहवासियों ने अपना विरोध जाहिर किया। दरअसल पिपल्याहाना तालाब के समीप जिला न्यायालय के नवीन भवन का निर्माण किया जाना है, लेकिन एनजीटी के आदेश अनुसार तालाब की अधिकतम सीमा से लगभग 30 मीटर दूरी के बाद यह निर्माण किया जा सकता है।चूंकि इस बार अच्छी बारिश हुई है, जिसके चलते तालाब का जलस्तर काफी बढ़ गया है। अब बढ़ा हुआ जलस्तर जिला न्यायालय की नई बिल्डिंग के निर्माण में बाधक बन रहा है। ऐसे में आरोप लगाया जा रहा है कि 2 दिन बाद एनजीटी की टीम तालाब के सर्वे के लिए इंदौर आने वाली है। इसलिए निगम तालाब को खाली करने की कवायद में जुटा है, ताकि एनजीटी की टीम जब इंदौर आए तो उसे तालाब का जलस्तर कम नजर आए। क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया का कहना है कि पीपल्याहाना तालाब आसपास की कॉलोनियों के लिए एकमात्र जल का स्त्रोत है, इसे किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने दिया जाएगा। वही इस मामले में निगम आयुक्त आशीष सिंह का कहना है कि निगम, तालाब के पानी को खाली करने की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है| एनजीटी की टीम के सर्वे के बाद ही तालाब की सीमा तय हो पाएगी। गौरतलब है कि इस बार तालाब बचाने के लिए क्षेत्रीय रहवासियो के साथ भाजपा के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाल लिया है, जबकि पिछली सरकार में विपक्ष में रहने वाले उच्च शिक्षा और खेल मंत्री जीतू पटवारी ने रहवासियों के साथ तालाब को बचाने की मुहिम शुरू की थी।