16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया अपने दोस्त अवनींद्र के साथ नई दिल्ली में बस से जा रहीं थीं। इस दौरान चारों दोषियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं। इस घटना ने अवनींद्र को अंदर से झकझोर दिया। अवनींद्र सदमे में चले गए। निर्भया कांड के गवाह के साथ ही अवनींद्र ही इकलौते चश्मदीद रहे। इस घटना ने अवनींद्र को इस कदर तोड़ा कि अवनींद्र आज भी मीडिया से दूरी बनाए रहते हैं। ज्यादातर बातें पिता के जरिये ही रखते हैं। इस पूरे केस के गवाह, चश्मदीद होने की वजह से अवनींद्र को कई बार डर भी लगा लेकिन वह कोर्ट में अपनी बात कहने में पीछे नहीं हटे। कोर्ट में गवाही देने की देन रही कि मंगलवार को कोर्ट ने सभी को फांसी की सजा सुनाई।