"चीन में करॉना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच पूरी दुनिया में चीन विरोधी भावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। कई देशों ने चीन के यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और कई रेस्तराओं से चीनी नागरिकों को अपमानित होकर लौटना पड़ रहा है। दक्षिण कोरिया, जापान, हॉन्ग कॉन्ग और वियतनाम में कई रेस्तराओं ने चीनी ग्राहकों से दूरी बना ली है।
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वहीं, इंडोनेशिया के एक होटल तक स्थानीय लोग मार्च करते हुए गए और चीनी पर्यटकों को वहां से चले जाने के लिए कहा। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के कई अखबारों की आलोचना उनकी नस्लवादी टिप्पणियों के लिए हो रही है। चीन और एशिया के अन्य हिस्सों के लोग यूरोप और अमेरिका में नस्लवाद का सामना करने की शिकायत कर रहे हैं।
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चीन के बाहर अब तक दो दर्जन देशों में करॉना वायरस के मामले सामने आए हैं। वहीं चीन में इससे अब तक चीन में 360 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बीमार पड़ गए हैं। वहीं, एक मौत फिलीपींस में हुई है। चीन से बाहर यह पहली मौत है। कई देशों ने वुहान से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए विमान भेजे हैं। कई देशों के साथ चीन के कूटनीतिक, राजनीतिक और कारोबारी संबंध अच्छे नहीं होने के बीच इस वायरस के प्रसार ने चीन विरोधी भावनाओं को भड़काने में योगदान दिया है।
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दक्षिण कोरियाई वेबसाइटों पर ऐसी अनेक टिप्पणियां आ रही हैं जिन पर चीन के लोगों को बाहर निकालने या उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग हो रही है। सियोल में समुद्री खाद्य पदार्थ वाले एक रेस्तरां ने अपने यहां बोर्ड लगा दिया, 'चीनी नागरिकों को प्रवेश नहीं।' लेकिन इस पर ऑनलाइन प्रतिक्रिया के बाद इसे हटा लिया। वहीं, अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में किसी ने चीनी-अमेरिकी नागरिक एरी देंग को लेकर यह अफवाह फैला दी कि उसे करॉना वायरस का संक्रमण है। वहां वह पांच अन्य छात्रों के साथ बैठी हुई थी और एकमात्र एशियाई थी। इसी दौरान छात्र परेशान होने लगे और अपना सामान लेकर वहां से निकल गए।
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कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने भी एक इंस्टाग्राम पोस्ट इस संबंध में हटाया है। वहीं, हॉन्ग कॉन्ग में पहले से ही चीन के खिलाफ भावनाएं प्रबल थीं लेकिन इस बीमारी के बाद यह स्थिति और भी बढ़ गई है। पिछले सप्ताह हॉन्ग कॉन्ग की सीईओ कैरी लाम ने चीन जाने वाली उच्च स्तरीय ट्रेन सेवाओं को रोक दिया था और उड़ानों की संख्या कम कर दी थी।
हॉन्ग कॉन्ग में जापान के एक रेस्तरां ने चीन के लोगों को भोजन परोसने से इनकार कर दिया है। वहीं, फ्रांस में भी ऐसी स्थिति भी देखने को मिली जब लोगों ने एशियाई दिख रहे व्यक्ति को देखकर अपना रास्ता बदल लिया। पेरिस में चीनी समुदाय के कानूनी सलाहकार सोक लाम ने कहा, 'लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि हम एशियाई हैं तो हमारे जरिए वायरस फैलने की संभावना ज्यादा है।' वहीं, जर्मनी में एक समाचारपत्र ने एक व्यक्ति की सुरक्षा कवच वाली तस्वीर के साथ 'मेड इन चाइना' लिख दिया।
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